विजयनगर राज्य में राजा कृष्णदेवराय के दरबार में तेनालीराम अपनी बुद्धिमानी के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। एक दिन राजा ने देखा कि पड़ोसी राज्य से आए एक व्यापारी के घोड़े बहुत अच्छे और ताकतवर हैं।
राजा ने व्यापारी से कहा,
“मैं एक घोड़ा खरीदना चाहता हूँ, लेकिन मुझे सबसे समझदार घोड़ा चाहिए।”
व्यापारी बोला,
“महाराज, मेरे सारे घोड़े बहुत समझदार हैं।”
राजा को शक हुआ। उन्होंने तेनालीराम को बुलाया और बोले,
“तेनाली, पता लगाओ कि इनमें सबसे समझदार घोड़ा कौन-सा है।”
तेनालीराम सभी घोड़ों के पास गए। उन्होंने देखा कि एक घोड़ा बाकी घोड़ों से अलग खड़ा है और बहुत शांत है।
तेनाली ने उस घोड़े के सामने हरी घास रख दी और बाकी घोड़ों के सामने सूखी घास।
हैरानी की बात यह थी कि वह शांत घोड़ा हरी घास खाने लगा, जबकि बाकी घोड़े सूखी घास ही खाते रहे।
तेनालीराम मुस्कराए और बोले,
“महाराज, यही सबसे समझदार घोड़ा है। इसे अच्छे और बुरे का फर्क पता है।”
राजा बहुत खुश हुए और बोले,
“तेनाली, तुम्हारी बुद्धि का कोई जवाब नहीं!”
व्यापारी भी तेनालीराम की चतुराई देखकर दंग रह गया।
✨ सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समझदारी केवल ताकत में नहीं, बल्कि सही चुनाव करने में होती है।

