तेनालीराम की कहानी आप सभी लोगों ने सुनी होगी तेनालीराम की कहानी बच्चों और बड़े सभी को पसंद आती है। इनकी कहानियों में तेनालीराम की बुद्धिमानी और चतुराई को दर्शाया जाता है कि तेनालीराम राधा कृष्ण देव राय के दरबार में किस तरीके से अपने चतुराई से सब का दिल जीत लेते थे आज ऐसी ही एक कहानी हम आपके लिए लेकर आए हैं आईए जानते हैं कि क्या है आज की कहानी…
तेनालीराम और राजा कृष्णदेव राय
एक बार राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम से कहा, “तेनाली, मैंने सुना है कि तुम्हारी बुद्धिमत्ता और चतुराई के किस्से पूरे देश में फैले हुए हैं। मैं तुम्हें एक परीक्षा देना चाहता हूं।”
तेनालीराम ने कहा, “महाराज, मैं तैयार हूं।”
राजा ने कहा, “मैं तुम्हें एक पहेली दूंगा। अगर तुम उसे हल कर सकोगे, तो मैं तुम्हें एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दूंगा। लेकिन अगर तुम असफल होगे, तो तुम्हें मेरी अदालत से निकाल दिया जाएगा।”
तेनालीराम ने कहा, “महाराज, मैं तैयार हूं।”
राजा ने कहा, “पहेली यह है: एक आदमी एक पेड़ के नीचे खड़ा है। वह न तो जीवित है और न ही मृत। वह क्या है?”
तेनालीराम ने सोचा और फिर कहा, “महाराज, वह आदमी एक तस्वीर है।”
राजा ने कहा, “वाह, तेनाली, तुमने सही उत्तर दिया। तुम्हें एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दी जाती हैं।”
तेनालीराम ने कहा, “महाराज, यह तो बस एक छोटी सी पहेली थी। मैं आपको एक और पहेली दूंगा। अगर आप उसे हल कर सकोगे, तो मैं आपको एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दूंगा।”
राजा ने कहा, “ठीक है, तेनाली, मैं तैयार हूं।”
तेनालीराम ने कहा, “पहेली यह है: एक औरत एक कमरे में है। वह न तो खड़ी है और न ही बैठी है। वह क्या है?”
राजा ने सोचा और फिर कहा, “तेनाली, मुझे नहीं पता।”
तेनालीराम ने कहा, “महाराज, वह औरत सो रही है।”
राजा ने कहा, “वाह, तेनाली, तुमने फिर से सही उत्तर दिया। तुम्हें एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दी जाती हैं।”
इस तरह तेनालीराम ने अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से राजा कृष्णदेव राय को प्रभावित किया।