दोस्तों ऐसे तो आपने तेनालीराम और कृष्णदेव राय की हजारों कहानियां सुनी होगी परंतु आज हम आपको एक बेहतरीन कहानी से अवगत कराने वाले हैं जिसका शीर्षक है‘पौधे की जड़े ‘ । आइए जानते हैं कि क्या है कहानी
तेनालीराम की पत्नी को गुलाब के बड़े-बड़े फूलों को जुड़े में लगाने का बेहद शौक था। उसकी पसंद के फूल केवल राज उद्यान में ही थे।अतः वह बेटे को वहां भेजकर चोरी से एक फूल रोज तुड़वा लेती थी। तेनालीराम से जलने वालों को जब यह पता चला तो उन्होंने तेनालीराम को महाराज की नजरों में गिराने का निर्णय लिया। उन्होंने उसके फूल चोरी करने का समय जांच लिया
जब एक दिन सभा चल रही थी, तब तेनालीराम की मौजूदगी में महाराज से शिकायत कर दी और कहा कि महाराज चोर इस समय आप के बगीचे में है यदि इजाजत हो तो पकड़वा कर हाज़िर करे। ठीक है, वह चोर जो कोई भी है, उसे हमारे सामने हाज़िर करो।। सभी दरबारी कुछ सैनिक के साथ बगीचे के द्वार पर आ गए और सिपाहियों को बगीचा घेर लेने का आदेश दिया। वे लोग तेनालीराम को भी आने साथ ले आए थे और उन्हें पूरी बात बता भी चुके थे की वह चोर और कोई नहीं आपका बेटा है।
कुछ दरबारी इस बात का बड़ा रस ले रहे थे कि जब तेनालीराम का बेटा चोर की हैसियत से दरबार में हाजिर होगा तो तेनालीराम की क्या गत बनेगी। एक दरबार में चुटकी ली-” क्यों तेनालीराम! अब क्या कहते हो? अरे भाई कहना क्या है।?एकाएक ही तेनालीराम जोर से चिल्लाए-“मेरे बेटे के पास अपनी बात कहने के लिए जुबान है। वे स्वयं ही महाराज को बता देगा कि वह बगीचे में क्या करने आया है। मेरा ख्याल से यह है कि वह अपनी मां की दवा के लिए पौधों की जड़ लेने आया होगा ना कि गुलाब के फूल चोरी करने आया है। तेनालीराम के बेटे ने बगीचे के अंदर यह शब्द सुन लिए। दरअसल उसे सुनाने के लिए तेनालीराम इतने जोर से बोला था वह फौरन समझ गया कि उसका पिता क्या कहना चाहता है अतः उसने झोली में एकत्रित किये फूल फेंक दिए और पौधों की जड़े उखाड़कर अपनी झोली में रख ली और बाहर आ गया। जैसे ही मैं बाहर आया वैसे दरबारियों के इशारे पर सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और ले जाकर दरबार में पेश किया।
महाराज! यह आपके बगीचे का चोर तेनालीराम का पुत्र।यह देखिये, अभी भी इस की झोली में गुलाब के फूल है।”गुलाब के फूल? कैसे गुलाब के फूल।” तेनालीराम के बेटे ने अपनी झोली में से सारी जड़े महाराज के सामने फर्श पर डाल दी और बोला- मैं तो अपनी मां की दवा के लिए पौधों की जड़े लेने आया था। यह देखकर महारानी दरबारियों को खूब फटकार लगाई सभी दरबारियो शर्म से सिर झुकाए खड़े सोचते रहे कि गुलाब के फूलों की जड़े कैसे बन गई?? यह थी तेनालीराम की चतुराई।
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