Close Menu
  • 🏠 होम
  • देश
  • धर्म
  • प्रेरणादायक
  • रोचक तथ्य
  • लाइफस्टाइल
  • वीमेन डायरी
  • हेल्थ एंड ब्यूटी
    • योग
    • होम्योपैथी
  • इंडिया मित्र सीरीज
    • लॉकडाउन के सितारे
    • गुदड़ी के लाल
Facebook X (Twitter) Instagram
  • About
  • Contact
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
Facebook X (Twitter) Instagram
India MitraIndia Mitra
Download Our App
  • 🏠 होम
  • देश
  • धर्म
  • प्रेरणादायक
  • रोचक तथ्य
  • लाइफस्टाइल
  • वीमेन डायरी
  • हेल्थ एंड ब्यूटी
    • योग
    • होम्योपैथी
  • इंडिया मित्र सीरीज
    • लॉकडाउन के सितारे
    • गुदड़ी के लाल
India MitraIndia Mitra
Home»Biography»लता मंगेशकर : संपूर्ण जीवन परिचय | कैसे बनी भारत की स्वर कोकिला
Biography

लता मंगेशकर : संपूर्ण जीवन परिचय | कैसे बनी भारत की स्वर कोकिला

By Archana DwivediUpdated:September 8, 2023
Facebook WhatsApp Twitter Telegram Pinterest LinkedIn Email
Share
Facebook WhatsApp Twitter Telegram LinkedIn Pinterest Email

लता मंगेशकर लता मंगेशकर’ इस नाम से देश का हर एक नागरिक वाकिफ है। बच्चे से लेकर वृद्ध तक हर एक की जुबान पर आज भी उनका नाम है। 6 दशकों तक अपनी आवाज से लोगों के दिलों में राज करने वाली मशहूर गायिका लता मंगेशकर के चाहने वाले न केवल देश में हैं बल्कि विदेशों में भी उनके लाखों फैन्स मौजूद हैं। वयक्तिगत जीवन– जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पांच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना ने भी संगीत सीखा करतीं थीं।  लता का जन्म मराठी ब्रम्हण परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर हुआ था ये परिवार के सभी बच्चो में सबसे बड़ी थी। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना। शुरुआती पढ़ाई लता ‘अमान अली ख़ान साहिब’ और बाद में ‘अमानत ख़ान’ के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति और बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी। लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी।   वर्ष 1942 में उनके पिता की मौत हो गई। तब लता केवल 13 वर्ष की थीं। नवयुग चित्रपट फिल्‍म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्‍त मास्‍टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में मदद की।  गायकी में करियर सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़। कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ़ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर इनको काम मिलने लगा।  लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था।  लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला।  पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये। पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसलेने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया। वर्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आया गया था. दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी. जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी. ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था. लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया. 1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आनेवाली फ़िल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये जिसमे कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिये पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने” जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी। 1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म “महल” के “आयेगा आनेवाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पुरस्कार– * फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994) * राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990) * महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967) * 1969 – पद्म भूषण * 1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड * 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार * 1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार * 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार * 1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार * 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार * 1999 – पद्म विभूषण * 1999 – ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार * 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार * 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार * 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” * 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार * 2001 – महाराष्ट्र भूषण पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे। -उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था। लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था। -लता मंगेशकर अब तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं। -लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी। प्रमुख गीत व फ़िल्म– लता जी ने दो आंखें बारह हाथ, दो बीघा ज़मीन, मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म, आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये हैं। “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चांद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) इत्यादि लता जी की प्रसिद्धि का कारण– भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। लता दीदी को ‘भारतरत्न’ खिताब भी मिला है इनकी विशेष बात – √ वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं। √ लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं। √ लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है। क्या लता जी ने विवाह किया था या नही ? एक सवाल जो हमेशा उनके चाहनेवालों के जेहन में आता रहता है और वह ये कि लता मंगेशकर ने कभी शादी क्यों नहीं की? क्या थी इसके पीछे की वजह? बहुत कम लोगों को इसके बारे में पता है। आइए आज हम आपको भी बताते हैं कि इस महान शख्सियत ने अपनी जिंदगी में कभी किसी से शादी क्यों नहीं की? हम यहां बात कर रहे हैं राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह के बारे में। लता मंगेशकर के साथ राज सिंह के रिश्ते की कई खबरें अकसर मीडिया में आती रही। 19 दिसंबर 1935 को राजपूताना के डूंगरपुर राजघराने में पैदा हुए राज सिंह की दोस्ती लता मंगेशकर के भाई से थी। दोनों एक साथ क्रिकेट खेला करते थे। इस वजह से लता मंगेशकर ने नहीं की शादी राज सिंह जब बड़े हुए तो लॉ की पढ़ाई करने के सिलसिले में मुंबई गए वहां दोबारा उनकी मुलाकात अपने पुराने दोस्त और लता मंगेशकर से हुई। लता मंगेशकर के भाई के साथ राज सिंह अकसर उनके घर पर जाया करते थे। वक्त बीतता गया और उनकी दोस्ती लता जी से हो गई। इस वजह से लता मंगेशकर ने नहीं की शादी दोनों एक-दूसरे को पसंद करने के बावजूद शादी नहीं कर पाए और इसके पीछे की वजह थी राज सिंह का अपने पिता से किया गया वादा। ऐसा कहा जाता है कि राज सिंह ने अपने मात-पिता से यह वादा किया था कि वो किसी भी आम घर की लड़की को बहू बना कर राजघराने में नहीं लाएंगे। शायद यही वजह रही होगी कि उन्होंने लता जी से अपने रिश्ते को कोई नाम न दे सके। इस वजह से लता मंगेशकर ने नहीं की शादी साल 2009 के 12 सितम्बर को उन्होंने अपना पार्थिव शरीर त्याग दिया। माता-पिता से किए गए वादे को उन्होंने जीवन भर निभाया। उन्होंने ताउम्र शादी नहीं की। इन सबके बावजूद दोनों चैरिटी के लिए एक-दूसरे की अकसर मदद किया करते थे। उनके रिश्ते का असर कभी भी इस पुण्य काम पर नहीं पड़ा। इस वजह से लता मंगेशकर ने नहीं की शादी आपको बता दें, महाराज राजनीति के साथ-साथ क्रिकेट की दुनिया से भी जुड़े रहे। राज सिंह 16 साल तक राजस्थान रणजी टीम के सदस्य रहें और साथ ही कई वर्षों तक बीसीसीआई से भी जुड़े रहें। इंडियन क्रिकेट टीम के कई दौरों में उन्होंने मैनेजर की भूमिका भी निभाई। लता मंगेशकर की स्कूली शिक्षा के बारे में विशेष बात– वह केवल एक ही दिन के लिए स्कूल गई थी। ऐसा कहा जाता है कि स्कूल के पहले ही दिन अपनी छोटी बहन आशा को अपने साथ स्कूल ले गई थीं, और स्कूल के अन्य छात्राओं को संगीत सीखने लग गई। जब अध्यापकों ने लता को अपनी छोटी बहन को स्कूल लाने और छात्राओं को संगीत सीखने के लिए माना किया तो लता इतनी क्रोधित हुई की उन्होंने तत्काल स्कूल छोड़ दिया और फिर वापस स्कूल कभी नहीं गई। उपनाम-बॉलीवुड की नाइटिंगेल लता को सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका अन्य आवश्यक जानकारी — गीत “आएगा आनेवाला” (महल, 1949) से वह काफी लोकप्रिय हो गईं, और ऐसा मानते है कि इस गीत को जिस ख़ूबसूरती से लता मंगेशकर ने गाया है, ऐसा कोई अन्य गायक नहीं गा सकता है। *वह फिल्म “लेकिन…” (1990) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड की सबसे पुरनी विजेता (oldest winner) (61 उम्र) का भी रिकॉर्ड रखती है। *वर्ष 1962 की, शुरुआत में उन्हें हल्का जहर दे दिया था, और उसके बाद, वह लगभग 3 महीने के लिए बिस्तर पर रहीं। 27 जनवरी 1963 को, लता ने चीन-भारत युद्ध के पृष्ठपट से एक देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाया। यह गीत सुनने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधान मंत्री) की आँखों में आँसू आ गए थे। *उन्होंने 1955 में, पहली बार एक मराठी फिल्म “राम राम पाव्हणं” के लिए गीत लिखा। *उन्होंने चार फिल्मों का निर्माण भी किया, जैसे कि- वादाई (मराठी 1953), झिंझर (हिंदी, 1953), कंचन (हिंदी, 1955), लेकिन (हिंदी,1990) । वर्ष 2001 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। *उन्हें मेकअप करना पसंद नहीं है। *एक साक्षात्कार के दौरान लता मंगेशकर ने बताया कि मशहूर गायक के एल सैगल से मिलना और दिलीप कुमार के लिए गीत गाना उनकी अतृप्त इच्छाओं में से एक है। *उन्होंने 14 विभिन्न भाषाओं में 50000 से अधिक गाने गाए हैं। यहां संगीत की देवी की एक झलक है:। तो दोस्तो उम्मीद है कि आपको ये जानकारी पसंद आई होगी जो की एक ऐसी महिला के बारे में थी जिन्होंने इतना संघर्ष करने के बाद में भी अपने उस सपने को पूरा किया जिसको उन्होंने बचपन मे देखा था जिसमे उनको न तो उनके पिता और न ही तकलीफे रोक सकी ।भारत की स्वर कोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर जी ने महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की है ,जो कि महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। धन्यवाद।

Like this:

Like Loading...

Related

Share. Facebook WhatsApp Twitter Telegram Pinterest LinkedIn Email
Previous Articleनिर्मला सीतारमन : जानिए कैसे बनी एक सेल्स गर्ल भारत की वित्तमंत्री
Next Article जानिए किस अफसर ने उठवा ली थी इंदिरा गांधी की कार ? सम्पूर्ण जीवनी । बायोग्राफी । पुरस्कार
Archana Dwivedi
  • Website

I’m Archana Dwivedi - a dedicated educator and founder of an educational institute. With a passion for teaching and learning, I strive to provide quality education and a nurturing environment that empowers students to achieve their full potential.

Related Posts

International Women’s Day ( अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस) 2024..

March 8, 2024

चर्चित राष्ट्रीय महिलाएं

October 3, 2023

महिला आरक्षियों को उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक ने किया उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित

June 30, 2023
लेटेस्ट स्टोरीज

AI और डिजिटल स्किल्स से युवाओं को नया पंख

July 16, 2025

नारी शक्ति की प्रतीक : अहिल्याबाई होल्कर

May 31, 2025

जाने क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा?, और कौन थे महात्मा बुद्ध

May 12, 2025

चिकन पॉक्स कारण लक्षण और रोकथाम

May 5, 2025
उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री  ने तीन दिवसीय  ‘विकास उत्सव’ की करी शुरुआत

March 26, 2025

जाने कब , किस दिन और कैसे हुई उत्तर प्रदेश की स्थापना: 24 जनवरी 2025 …

January 24, 2025

मुख्यमंत्री 24 जनवरी को शुरू करेंगे उद्यमी विकास योजना, जुड़ेंगे 25000 युवा, जाने से इस योजना का उद्देश्य….

January 19, 2025

जाने पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति के लिए आवेदन की अंतिम तिथि…

January 18, 2025
सरकारी योजनाये

आयुष्मान भारत मिशन क्या है, आयुष्मान कार्ड कैसे बनवाये

August 24, 2023

क्या आप जानते हैं?.. क्या है उत्तर प्रदेश सरकार की ” परिवार कल्याण कार्ड योजना”

August 25, 2022

विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज व आवेदन की प्रक्रिया

May 4, 2022

उत्तर प्रदेश विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना 2022

May 4, 2022

News

  • World
  • US Politics
  • EU Politics
  • Business
  • Opinions
  • Connections
  • Science

Company

  • Information
  • Advertising
  • Classified Ads
  • Contact Info
  • Do Not Sell Data
  • GDPR Policy
  • Media Kits

Services

  • Subscriptions
  • Customer Support
  • Bulk Packages
  • Newsletters
  • Sponsored News
  • Work With Us

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

© 2025 India Mitra | All Rights Reserved. Designed by RG Marketing.
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

%d