लखनऊ। “यार आजकल बहुत तनाव में हूँ” अक्सर ये लाइन सुबह से लेकर शाम तक कहीं न कही सुनने को मिल जाती है। आधुनिक जीवन शैली और संचार क्रांति के इस युग में जहाँ तरक्की के रास्तें खुले है वही काम को त्वरित करने कि आदत और जिन्दगी कि भागदौड़ में लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के योग के प्रो. उमेश शुक्ला कहते है।
“आगे निकलने की होड़ और बहुत कुछ सुख–सुविधाओं के चक्कर में अनियमित होती जीवनशैली में तनाव से बच पाना बहुत मुश्किल है. शायद ऐसा ही कोई हो जो “तनाव” का शिकार न हो. तनाव अकेले नहीं आता बल्कि अपने साथ कई तरह बीमारियाँ लेकर आता है,जिसका असर धीरे-धीरे शरीर पर दिखना शुरू हो जाता है।
पिछले कई वर्षों से तनाव और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे महेंद्र (बदला हुआ नाम) जो की एक सरकारी वित्तीय संस्थान में कार्यरत है, बताते है “जिन्दगी में लगभग सब सही है फिर भी छोटी छोटी बात पर तनाव,गुस्सा,आता हैं. बराबर मनोचिकित्सक से सलाह और दवाइयां लेता रहता हूँ. तनाव की वजह से स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है। मनोचिकित्सक “ तनाव” से बचने की सलाह देते है और मै कोशिश करता हूँ की, तनाव न लूँ लेकिन वो किसी न किसी बात को लेकर हो ही जाता है।
योग प्रशिक्षक डॉ सुधीर शुक्ल बताते है, “अवसाद ग्रस्त इन्सान अत्याधिक उदासी, छोटी छोटी बातों पर परेशान होना, अत्यधिक थकावट, निराशा, मानसिक थकान, भविष्य के प्रति अत्यधिक चिंता महसूस करता है. जिसके कारण एक घबडाहट, आत्मविश्वास मे कमीं, आत्महत्या जैसे विचार मन में आते है, और ऐसी स्थिति में अवसाद ग्रस्त व्यक्ति किसी से मिलना–जुलना, बातचीत करना पसंद नहीं करता. अवसाद के कारण किसी बात या घटना को लेकर अपराध बोध, आत्मग्लानि दी बनी रहती हैं. ऐसे में इंसान की स्मरण शक्ति कमजोर होने के साथ उसके मन में हमेशा अनिष्ट की आशंका बनी रहती है. इस तनाव के कारण यौन इच्छाओं में कमी, नीद न आना, भूख न लगना, शरीर में दर्द, सर्वाइकल स्पान्डलाइटिस, कमजोरी, बालों का गिरना,आँखों में कमजोरी जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होने लगती है।”
तनाव सबको होता है घबराए नहीं समाधान ढूंढे
तनाव में मनोचिकित्सा महत्वपूर्ण होती है, बहुत बार ऐसा होता है कि अत्याधिक तनाव के कारण व्यक्ति कई बार जरुरी कार्य तक नहीं कर पाता ऐसे में परिवार या सहयोगियों को लगता है की तनावग्रस्त व्यक्ति काम न करने का बहाना बना रहा है. यदि कोई व्यक्ति ऐसी स्थिति में है तो घर परिवार उसे भावनात्मक रूप से सहयोग करें और रोगी को नकारात्मक बातें कहने के बजाय प्रोत्साहित करें।
- योग विज्ञान में अवसाद ग्रस्त रोगियों को जल चिक्तिसा के माध्यम से यानी जलनेति का अभ्यास प्रतिदिन, कुंजल सप्ताह में एक बार, एनिमा सप्ताह में एक बार, औषधीय भाप सेवन प्रतिदिन, मेरुदंड स्नान प्रतिदिन, करने की सलाह दी गयी है।
- साथ ही जल चिकित्सा के बाद सूर्य चिकित्सा के अंतर्गत प्रतिदिन सूर्य के सामने 10 मिनट सुबह सूर्य स्नान की सलाह दी जाती है।
- अवसाद रोगी को योगाभ्यास में वज्रासन, मकरासन, पश्चिमोत्तान आसन, सर्वांगासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, पवन मुक्तासन, शवासन का अभ्यास करना चाहिए।
- साथ ही अवसाद से मुक्ति के लिए जालंधर और उड्डियान बंध का अभ्यास किया जाता है। अवसाद से ग्रस्त रोगी को प्रतिदिन ध्यान और सादा, सात्विक भोजन करने की सलाह योग चिकित्सकों/प्रशिक्षकों द्वारा दी जाती है। ये प्रयोग हमेशा पूर्ण जानकारी के साथ या किसी योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए व् योगाभ्यास करने से पूर्व योग करने से पहले की जाने वाली क्रियायों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।