पुलिस स्मृति दिवस 21 अक्टूबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश पुलिस बल का इतिहास स्वर्णिम एवं सौभाग्यशाली रहा है इस बल की भारतवर्ष में ही नहीं अभी तो पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान है। उत्तर प्रदेश जैसे सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रदेश में पुलिस का कार्य निसंदेश चुनौती पूर्ण है अपराध नियंत्रण से लेकर कानून व्यवस्था को सुधार करने तक सभी कार्य पुलिसकर्मी काफी निरंतर सजाता और सतर्कता एवं पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करते है। जोखिम भरे कार्यों में अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश व उत्तरप्रदेश पुलिसकर्मी अपने प्राण निछावर करने के लिए हर पल तैयार रहते हैं।
ऐसे ही शहीद पुलिसकर्मियों की स्मृति में प्रत्येक वर्ष श्रद्धांजलि देने हेतु 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जाने इसका इतिहास
प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को हम सभी पुलिस स्मृति दिवस के रूप में उन वीर शहीद पुलिस जनों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाते हैं जिन्होंने राष्ट्र व समाज की रक्षा के लिए कर्तव्य पालन में संवेदनशीलता समर्पण और बलिदान का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने प्राणों को निछावर कर दिया।
आज से 64 वर्ष पूर्व भारत की उत्तरी सीमा लद्दाख की बर्फीली जनहीन क्षेत्र में 21 अक्टूबर 1959 को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के 10 जवान नियमित गस्त पर निकले थे स्वचालित रायफलों व मोटरों से लैस चीनी सैनिकों ने छल पूर्वक हमारे क्षेत्र में घात लगाकर अचानक सैनिकों पर हमला कर दिया। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए साधारण शास्त्रों के बावजूद पुलिस दल की टुकड़ी ने चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया। अपने वीरता का परिचय देते हुए केंद्रीय पुलिस बल के 10 बहादुर जवानों ने अपने प्राणों की आहुतियां दे दी इन्हीं अमर जवानों की याद में पुलिस स्मृति दिवस मनाने की परंपरा प्रचलित हुई है
श्रद्धांजलि
1 सितंबर 2022 से 31 अगस्त 2023 तक की अवधि में संपूर्ण भारत में कर्तव्य की वेदी पर 188 पुलिस जनों ने अपने प्राण निछावर कर दिए।
हम आपको बता दे कि इसमें उत्तर प्रदेश के तीन पुलिस जैन क्रमशः आरक्षी संदीप निषाद, राघवेंद्र सिंह एवं आरक्षी भेद जीत सिंह सम्मिलित है जिन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए आत्म बलिदान कर दिया। इन वीरों के पराक्रम से प्रदेश का संपूर्ण पुलिस बल गौरांवित है ।हमारे वीर जवानों का यह बलिदान उनकी सच्ची समर्पण भावना एवं कर्तव्यपरायणता का घोतक है ।यह उनकी कर्तव्य निष्ठा एवं जन सेवा के प्रति उनके संकल्प बढ़ता को प्रतिबिंबित करता है। उन वीरों की इस सर्वोच्च बलिदान के लिए यह राष्ट्र उनका सदैव ऋण मानता रहेगा। वीरों की वीरता की यशो गाथाएं भावी पीढियो को युग युगों तक प्रेरणा प्रदान करती रहेगी।