गोस्वामी तुलसीदास जी ने जीवनदायिनी मां गंगा का मनुहारी वर्णन करते हुए कहा है कि ‘गंग सकल मुद मंगल मूला, सब सुख करनि हरनि सब सूला।’ अर्थात गंगा जी समस्त आनंद-मंगलों की मूल हैं। वे सब सुखों को करने वाली और सब पीड़ाओं को हरने वाली हैं। इसका वर्णन तुलसीदास से रामचरित मानस के अयोध्याकांड में किया है।
ऐसा कहा जाता है कि राजा भगीरथ अनेक वर्षों की तपस्या के उपरांत ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफल हुए। पुराणों में गंगा नदी को गंगा मां का दर्जा दिया गया है।भारतीय शास्त्र, पुराण एवं उपनिषद इत्यादि सभी ग्रंथों में गंगा की महिमा और महत्ता का बखान किया गया है। गंगा भारतीय संस्कृति की प्रतीक एवं हजारों साल की आस्था की पूंजी है। शास्त्रों में कहा गया है कि गंगा का पानी अमृत व मोक्षदायिनी है।
गंगा दशहरा का त्योहार
“गंगा दशहरा” हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो गंगा नदी की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार हिन्दू माह ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गंगा की आकाश से पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति की जाती है। भक्त नदी के किनारे एकत्र होते हैं, पवित्र स्नान करते हैं, रीति-रिवाज करते हैं और आशीर्वाद के लिए प्रार्थनाएं करते हैं। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह त्योहार गंगा को संरक्षित और सुरक्षित रखने के महत्व को भी दर्शाता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है।
मां गंगा का धरती पर अवतरण
पुराणों के अनुसार सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा मां का धरती पर अवतरण हुआ था । गंगा अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा थीं। गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य, उपवास, भजन और गंगा आरती का आयोजन करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होगी। गंगा नदी भारत के कुछ राज्यों तथा उत्तर प्रदेश के शहरों से होकर बहती है। भारत में गंगा नदी किन राज्यों से होकर बहती है वे राज्य है-
यह उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है। यह एक बाउन्ड्री नदी है, जो भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है। नदी की कुल लंबाई 2525 किमी है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश उत्तराखंड से बहते हुए उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से राज्य में प्रवेश करती है। यहां प्रवेश करने के बाद यह गढ़मुक्तेश्वर, बदायूं, फर्रूखाबाद, कन्नौज, कानपुर, बिठूर, प्रयागराज, मिर्जापुर और गाजीपुर होते हुए राज्य से बाहर निकल जाती है।
कब मनाया जाता है गंगा दशहरा?
इस वर्ष 16 जून, रविवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।पंचांग में बताया गया है कि गंगा दशहरा के दिन हस्त नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 11:13 तक रहेगा। इसके साथ पवित्र स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त को सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:03 से सुबह 04:45 के बीच रहेगा। वहीं इस दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है, जिन्हें पूजा-पाठ, स्नान-दान के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है।
गंगा दशहरा के दिन इन चीजों का करें दान
गंगा दशहरे के पर्व पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि गंगा दशहरा पर दान की जाने वाली वस्तुओं की संख्या 10 होनी चाहिए। इस दिन आप 10 फल, 10 पंखे, 10 सुराही, 10 छाते या फिर 10 हिस्से अन्न का दान कर सकते हैं।
मां गंगा का महत्व
गंगा दशहरा को लेकर यह धार्मिक मान्यता है कि इस दिन ही मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगा दशहरा पर पवित्र गंगा नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। अगर आपके लिए ऐसा कर पाना संभव न हो तो आपको घर पर ही स्नान करते हुए पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए। इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है।