गुरु पूर्णिमा:
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है
हमारे ग्रंथो में गुरु को विशेष महत्व दिया गया है।
ऐसे में माना जाता है कि जिन गुरुओं ने हमें गढ़ने में अपना योगदान दिया है, उनके प्रति हमें कृतज्ञता का भाव बनाए रखना चाहिए और उसे ज़ाहिर करने के दिन के तौर पर ही गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।
हिंदुओ की परंपरा के मुताबिक आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
वर्ष 2024 में गुरु पूर्णिमा की तिथि
यह पर्व आमतौर पर जून या जुलाई के महीने में आता है। इस साल यह तीन जुलाई यानी सोमवार को पड़ रहा है। हिंदू पंचांग के मुताबिक पूर्णिमा की अवधि दो जुलाई को रात 08:20 बजे शुरू होगी और तीन जुलाई को शाम 05:08 बजे समाप्त होगी। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जा रही है।
गुरु पूर्णिमा बनाने का कारण
पौराणिक मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म दिवस माना जाता है। उनके सम्मान में इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
शास्त्रों में यह भी कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने चारों वेद की रचना की थी और इसी कारण से उनका नाम वेद व्यास पड़ा। गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास जी की पूजा विधि की जाती है।
इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
भारत में प्राचीन काल से ही गुरुओं की भूमिका काफी अहम रही है. चाहे प्राचीन कालीन सभ्यता हो या आधुनिक दौर, समाज के निर्माण में गुरुओं की भूमिका को अहम माना गया है. उनकी इस भूमिका को सरल और गूढ़ रूप में संत कबीरदास ने अपने दोहे के माध्यम से भी दर्शाया है।
गुरु गुरु की महिमा का कबीर दास जी द्वारा व्याख्यान
अपने दोहे में संत कबीरदास ने गुरुजनों के महत्व को श्रेष्ठ दर्जा दिया है. वे लिखते हैं-
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु अपने, गोविंद दियो बताए।।
यानी गुरु और गोविंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए- गुरु को या गोविंद को?
फिर अगली पंक्ति में उसका जवाब देते हैं. वे लिखते हैं कि ऐसी स्थिति हो तो गुरु के चरणों में प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि उनके ज्ञान से ही आपको गोविंद के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा।
इतने देश में मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा का पर्व
गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने, बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों। इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं।
गुरु पूर्णिमा मुख्यतः हमारे गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का दिन है। ये गुरु औपचारिक आध्यात्मिक शिक्षक, वंश धारक या कोई भी व्यक्ति हो सकते हैं, जो ज्ञान और बुद्धि प्रदान करते हैं, जो हमें हमारे जीवन पथ पर मार्गदर्शन करते हैं
आषाढ़ पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा करके मनाया जाता है। व्यास पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा भी इसी दिन मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु, गुरुओं और ब्राह्मणों के सम्मान के लिए मनाया जाता
ऐसे मनाई गुरु पूर्णिमा
21 जुलाई 2024 को गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है , जिसमें आध्यात्मिक गुरुओं का सम्मान किया जाएगा । प्रार्थना करके, आशीर्वाद मांगकर, पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करके, दान-पुण्य करके, सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेकर और अपने गुरु की शिक्षाओं पर विचार करके इसे मनाएं।