एक बार विजयनगर साम्राज्य में एक बड़ा उत्सव मनाया जा रहा था। राजा कृष्णदेव राय ने अपने दरबारियों को एक अनोखी प्रतियोगिता का आयोजन करने का आदेश दिया। प्रतियोगिता में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को पुरस्कृत किया जाना था। सभी दरबारी उत्साहित होकर प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तैयार हो गए।
तेनाली रामा ने भी प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया। हालांकि, अन्य दरबारी उनकी बुद्धि को कम आंकते थे और उन्हें हल्के में लेते थे।
प्रतियोगिता का पहला प्रश्न था, “दुनिया में सबसे बड़ी चीज क्या है?”
अधिकांश दरबारियों ने जवाब दिया, “समुद्र सबसे बड़ी चीज है।”
एक अन्य दरबारी ने कहा, “नहीं, आकाश सबसे बड़ा है क्योंकि वह समुद्र से भी अधिक विशाल है।”
जब तेनाली रामा की बारी आई, तो उन्होंने धीरे से कहा, “महामारी सबसे बड़ी चीज है।”
सभी दरबारी हैरान रह गए। राजा कृष्णदेव राय ने पूछा, “महामारी कैसे सबसे बड़ी चीज हो सकती है?”
तेनाली रामा ने समझाया, “महामारी इतनी शक्तिशाली होती है कि वह राजाओं को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर देती है। वह समृद्ध और गरीब, सभी को समान रूप से प्रभावित करती है।”
राजा कृष्णदेव राय तेनाली रामा की बुद्धि से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, “तेनाली, तुमने बहुत ही चतुराई से जवाब दिया है।”
प्रतियोगिता में आगे बढ़ते हुए, अगला प्रश्न था, “दुनिया में सबसे छोटी चीज क्या है?”
अधिकांश दरबारियों ने जवाब दिया, “रेत का कण सबसे छोटी चीज है।”
एक अन्य ने कहा, “नहीं, हवा के अणु सबसे छोटे हैं।”
जब तेनाली रामा की बारी आई, तो उन्होंने कहा, “शंका सबसे छोटी चीज है।”
दरबारी फिर से हैरान रह गए। राजा ने पूछा, “शंका कैसे सबसे छोटी चीज हो सकती है?”
तेनाली रामा ने कहा, “शंका इतनी छोटी होती है कि वह किसी भी बड़े से बड़े दिल में आसानी से घर बना लेती है और विश्वास को नष्ट कर देती है।”
राजा कृष्णदेव राय तेनाली रामा की बुद्धि से पुनः प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, “तेनाली, तुमने सच में ही अद्भुत उत्तर दिया है।”
इस प्रकार, तेनाली रामा ने अपनी बुद्धि और चालाकी से सभी दरबारियों को पछाड़ दिया और प्रतियोगिता जीत ली। राजा कृष्णदेव राय ने उन्हें पुरस्कृत किया और उनकी प्रशंसा की।
सीख:
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि बुद्धि और चतुराई से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। हमें कभी भी किसी को कम आंकना नहीं चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति में छिपी हुई प्रतिभा होती है। इसके अलावा, हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और शंकाओं को अपने मन में नहीं पालना चाहिए।
शिक्षा :-
इस कहानी का मूल संदेश है कि बुद्धि और विवेक से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। किसी को भी उसके दिखावे से नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति में छिपी हुई प्रतिभा होती है। इसके अलावा, सकारात्मक सोच रखना और शंकाओं को मन में नहीं पालना महत्वपूर्ण है।