नरेंद्र मोदी 2014 में अच्छे दिन के वादे के जरिए प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता पर काबिज हुए।उसके बाद 2014 से लेकर के 2023 तक मोदी सरकार में अहम बड़े फैसले लिए गए। नरेंद्र मोदी ने 2020 में आत्मनिर्भर का नारा दिया। वर्तमान में नरेन्द्र मोदी अपने दूसरे यानि 2.0 कार्यकाल में देश को सेवा प्रदान कर रहे हैं।
मोदी को एक मजबूत और लोकप्रिय नेता माना जाता हैं। उनकी ऐसी छवि बनी है कि वो कड़े फैसले लेने में हिचकते नहीं हैं। मोदी सरकार के 10 वर्ष पूरे हो गए हैं और ऐसे में हम मोदी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करेंगे।
आईये जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लिए गए हैं फैसलो के बारे में…
मोदी सरकार के महत्वपूर्ण फैसले
दुनिया ने देखा भारतीय सेना का पराक्रम
नरेंद्र मोदी सरकार में भारतीय सेना ने जबरदस्त पराक्रम का प्रदर्शन कर ये दिखा दिया कि भारत की रक्षा शक्ति दुनिया के किसी विकसित देश से कम नहीं है।सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के जरिए ये बता दिया कि भारत पारंपरिक लड़ाई के साथ साथ मॉडर्न लड़ाई में दुनिया की पेशेवर सेनाओं में से एक है। उरी आंतकी हमले के बाद 28 सितंबर 2016 को दुनिया का आधा हिस्सा सो रहा था और भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दे रही थी। इसके बाद पुलवामा में आतंकी हमला हुआ तो भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को बालाकोट एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।भारतीय जवानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया था।
एक देश एक टैक्स यानी जीएसटी बिल हुआ पास
भारत में नया गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) का मामला लंबे समय से अटका हुआ था।मोदी सरकार ने सत्ता में आने के तीन साल बाद संसद से जीएसटी को पास कराया और यह देश में 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया। देश में कर सुधार की दिशा में यह सबसे बड़ा कदम था।जीएसटी लागू करने का मकसद एक देश- एक कर (वन नेशन, वन टैक्स) प्रणाली है। जीएसटी लागू होने के बाद उत्पाद की कीमत हर राज्य में एक ही हो गई है और राज्यों को उनके हिस्सा का टैक्स केंद्र सरकार देती है। कर व्यवस्था को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 में वर्णित किया गया।
अल्पसंख्यकों से संबंधित फैसला
नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े कई अहम फैसले लिए हैं। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में मुसलमानों को हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करने का फैसला 2018 में किया। सब्सिडी हटाने के निर्णय से केंद्र सरकार को 700 करोड़ रुपये की बचत हर साल होगी। ऐसे ही सरकार ने 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बिना पुरुष अभिभावक के हज करने की इजाजत दी थी।
सवर्ण आरक्षण बिल
सवर्ण आरक्षण की मांग देश में लंबे समय से हो रही थी, लेकिन किसी भी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया परंतु मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के आखिरी समय 2019 के जनवरी में सवर्ण समुदाय को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया।
इस सवर्ण आरक्षण विधेयक को दोनों सदनों से पास कराकर कानूनी रूप दिया गया। इस बिल के द्वारा सामान्य वर्ग के व्यक्ति यानी सवर्ण समुदाय के लोगों को 10% आरक्षण देने की बात कही गई।इसके जरिए सवर्ण समुदाय के लोग सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ उठा रहे है।
अनुच्छेद 370 को क्या निष्प्रभावी
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे ऐतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर को लेकर लिया जो जनसंघ के जमाने से उसकी प्राथमिकता रहा है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने का कदम उठाने के साथ-साथ राज्य को दो हिस्सों में बांटने का काम भी इसी कार्यकाल में हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने का प्रस्ताव मंजूर किया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया गया।
अगस्त 2019 को इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया और उसी दिन वहां से भी यह पारित हो गया। 9 अगस्त 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई, जिसके बाद जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हट गया और अनुच्छेद 370 का सिर्फ क्लॉज 1 छोड़कर अन्य सभी क्लॉज खत्म कर दिए। क्लॉज 1 के तहत जम्मू कश्मीर में भारत का संविधान चलेगा।
मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019′
मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा से पारित कराया गया। 1 अगस्त 2019 से तीन तलाक देना कानूनी तौर पर जुर्म बन गया है।मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को 10 जनवरी 2020 को अमलीजामा पहनाया। इस कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और यहूदी को भारतीय नागरिकता मिल सकती है। इस कानून में किए गए बदलाव को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए। मुस्लिम महिलाओं ने इस कानून के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन किया।इसके बावजूद सरकार ने अपने कदम नहीं खींचे। अंततः 10 जनवरी 2020 को इस बिल को लागू कर दिया गया।