महिलाएं अक्सर कमर के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत से परेशान रहती है। कई बार महिलाएं दर्द को नजरंदाज करती है । महिलाओं के कमर में होने वाले दर्द के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे भारी सामान उठाने के कारण कमर के निचले हिस्से में चोट लग जाना, पीरियड्स पेन होना या वर्कआउट के दौरान मसल्स में खिंचाव आ जाना।
क्या आप जानते हैं कि महिलाओं को कमर के निचले हिस्से में दर्द किसी गंभीर बीमारी के कारण भी हो सकता है?
महिलाएं, अक्सर कमर के निचले हिस्से के दर्द की अनदेखी कर बैठती हैं। यह सही नहीं है। आपको चाहिए कि आखिर आपको कमर के निचले हिस्से में दर्द क्यों हो रहा है, इसका सटीक कारण जानें। इसके बाद ही सही ट्रीटमेंट करवाएं। ध्यान रहे, अगर लगातार लोअर बैक पेन की अनदेखी करेंगी, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इस लेख में जानें, कमर के निचले हिस्से में दर्द के गंभीर कारण
ओवेरियन सिस्ट

ओवेरियन सिस्ट होने पर ओवरीज में एक प्रकार के सिस्ट हो जाते हैं, जो कि फ्लूइड से भरे होते हैं। डॉक्टर बताते हैं, “ओवेरियन सिस्ट होने पर शुरुआती दिनों में कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आते हैं। हालांकि, एक समय बाद महिला को पेल्विक पेन, दबाव और कमर के निचले हिस्से में दर्द का अहसास हो सकता है। अगर किसी कारणवश सिस्ट फट जाए या फिर मुड़े जाए, तो ऐसे में महिला को तीव्र दर्द हो सकता है और उसे तुरंत डॉक्टर की मदद की जरूरत पड़ सकती है। ओवेरियन सिस्ट का पता लगाने के लिए जरूरी है कि महिला समय-समय पर अपना टेस्ट करवाएं।”
एडिनोमायोसिस
यूट्रस के मस्कुलर वॉल में एंडोमेट्रियल टिश्यू के बढ़ने को एडिनोमायोसिस कहा जाता है। यह स्थिति भी काफी गंभीर होती है। एडिनोमायोसिस होने पर पीरियड्स के दौरन दर्द, हैवी ब्लीडिंग, पेल्विक पेन और पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अहसास हो सकता है। इस तरह की समस्या होने पर महिला को हार्मोनल थेरेपी लेने की सलाह दी जा सकती है। कुछ गंभीर मामलों में हिस्टेरेक्टॉमी की जाती है। इसका मतलब है कि सर्जरी के जरिए महिला का गर्भाशय निकाल देना। आपको बता दें कि हिस्टेरेक्टॉमी की प्रक्रिया में गर्भाशय के अलावा, फैलोपियन ट्यूब और यूट्रस सर्विक्स को निकालना भी शामिल होता है।
PIED(पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज )
पीआईडी होने पर महिलाओं को कमर के निचले हिस्से में दर्द होने के साथ-साथ पेट में दर्द, बुखार, वजाइनल डिसचार्ज और अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर इसकी अनदेखी न करें। वैसे तो पीआईडी के ट्रीटमेंट के तौर पर एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। लेकिन, समय रहते इसका इलाज किया जाना जरूरी है वरना महिला को इंफर्टिलिटी का शिकार होना पड़ सकता है।”