मानव जीवन में ज्ञान का स्थान अतुलनीय है। जिस प्रकार से मौसम कभी यह जैसा नहीं रहता है वैसे ही हमारा मन भी स्थाई नहीं रहता है । वह अनेक जगहों पर भ्रमण करता रहता है। हमारा ज्ञान भी कई तरीके का होता है । सीखने की हमारी यात्रा कभी भी समाप्त नहीं होती है इसलिए मनुष्य को जीवन में लगातार सीखते रहना चाहिए । कुछ नया सीखते रहना चाहिए कुछ नया करना चाहिए ।
बसंत भी हमारे लिए कुछ ऐसी ही उपहार लेकर आता है कुछ ऐसे आनंद लेकर आता है जिससे मन प्रसन्न हो जाता है। प्रकृति जैसे सर्दियों की कठोरता से उभरते हुए वसंत की मधुरता में बदल जाती है वैसे ही मनुष्य का अंदरूनी संसार भी निरंतर विकास और परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजरा रहता है। इस परिवर्तनशील प्रकृति में ज्ञान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह हमें अपने भीतर उन विचारों भावनाओं और बौद्ध क्षमताओं के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद करता है ज्ञान हमें अपने भीतर की गहराइयों में झांकने का मौका देता है।
बसंत का मौसम जहां तक हमारा अस्तित्व है उसके वास्तविक अर्थ को समझने का मौका देता है । ज्ञान वह प्रकाश है जो हमारे अंधेरे कोने में छिपे प्रश्नों के उत्तर खोजने में हमारी सहायता करता है।
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती का पूजन करके हमें ज्ञान प्राप्त करना चाहिए क्योंकि उनके द्वारा ज्ञान ही हमारा मार्गदर्शन का स्रोत बनता है। मां हमें करुणा देती है ,प्रेम देती है ,ज्ञान देती है जो हमारे जीवन में हमें आगे बढ़ाता है । ऐसे में ये आंतरिक जागरूकता और स्वयं की खोज द्वारा हमें इस भ्रम से बाहर निकलती है । वसंत में सरसों के पीले पीले फूल खेतों में ही नहीं , हमारे मन पर भी छा जाते हैं।
बसंत का मौसम हमें इस बात का संदेश देता है कि सत्य की खोज केवल बाहरी साधनों से नहीं बल्कि अपने भीतर की सूक्ष्म अनुभूतियां और अनुभवों के माध्यम से भी होती है । जब हम ज्ञान की गहराइयों में उतरते हैं तो हमें या समझ में आता है कि यह यात्रा केवल बाहरी उपलब्धियां तक सीमित नहीं है बल्कि यह हमारे अंदर की अनुभव भावनाओं आध्यात्मिक उन्नति का भी एक आईना है । ज्ञान हमें इस सत्य की ओर ले जाता है कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य अपने आप को समझना और जानना है।