भारत सरकार इस बार 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा चुकी है ।इसके तहत 100 माइक्रोन से नीचे के सभी पॉलिथीन पर बैन कर दिया गया है अर्थात ऐसे प्लास्टिक का प्रयोग पूरी तरीके से प्रतिबंधित है प्रकृति में बायोडिग्रेडेबल नहीं है। खास बात यह है कि यदि कोई इन नियमों का उल्लंघन करता पाया गया तो उस पर जुर्माना लगेगा और यदि कोई संस्था ऐसा करते हुए पाई गई तो उस पर आम व्यक्ति से 25 गुना ज्यादा जुर्माना लगाया जाएगा। सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करते हुए भारत सरकार के द्वारा कुछ नियमों को लागू किया गया है आइए जानते हैं कि क्या है वह नियम
Single use plastic के प्रयोग पर प्रतिबंधित नियम
- पहली बार में सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग करते पकड़े जाने पर ₹100000 जुर्माना तथा 5 साल जेल होगा
- दोबारा पकड़े जाने पर प्रतिदिन ₹5000 के हिसाब से जुर्माना दिए होगा
- आम लोगों पर यह जुर्माना ₹500 से ₹2000 तक लगेगा (दिल्ली में)
- नेशनल कंप्लेन सिस्टम लागू किया गया
- नदी में प्लास्टिक फेंकने पर ₹1000 जुर्माना लगेगा ,यह जुर्माना आम जनता के लिए रखा गया है।
- किसी संस्था के द्वारा नदी में प्लास्टिक फेंकने पर ₹25000 जुर्माना लगेगा।
देश में कचरा प्रबंधन संशोधित नियम साल 2021 में आए थे इन नियमों के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक उस प्लास्टिक को बताया गया जिसे नष्ट करने गया रिसाइकल करने से पहले मात्र एक ही बार प्रयोग में लाया जा सके जैसे एअरबड्स, बैलून ,स्टिक ,झंडे ,कैंडी स्टिक ,आइसक्रीम स्टिक्स ,थर्माकोल ग्लास ,चम्मच ,प्लेट्स, छुरी, स्ट्रा डिब्बों को पैक करने वाली प्लास्टिक, निमंत्रण पत्र ,सिगरेट पैक करने पैक करने वाले 100माइक्रोन से भी कम मोटाई वाली प्लास्टिक तथा पीवीसी बैनर इसके अंतर्गत आते है।
कोरॉना काल में कैसे फैला अधिकाधिक कचरा
आमतौर पर दुनिया भर के समुंद्र में साल भर में लगभग 25000 टन कचरा जाता है एक शोध बताते हैं बताता है कि 2020 से अगस्त 2021 तक समुद्र में 8000000 टन महामारी का कचरा मिला जिस का सबसे प्रमुख कारण कोरोना काल के समय प्रयोग होने वाली दवाइयां और अन्य वस्तु थी । वहीं जमीन खोदकर 500 करोड़ टन महामारी का कचरा दफनाया गया यह भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।
क्या है इस समय देश की स्थिति
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की प्लास्टिक रीसाइकलिंग डिकोडेड रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक के कुल के लगभग 60 से 70 फ़ीसदी प्लास्टिक की पैकिंजिंग से आता है पैकेजिंग का काफी हिस्सा इस्तेमाल होने के कुछ मिनट हो या कुछ दिनों के बाद अलग कर दिया जाता है रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018 में 1.84 प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया था जबकि उस साल उत्पादन केवल 1.7 करोड़ का ही हुआ था सिंगल यूज प्लास्टिक प्रकृति में पर्यावरण प्रदूषण का सबसे महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि यह दोबारा रीसाइक्लिंग भी नहीं किया जा सकता है। इस कारण कभी कभी मूक पशुओं के द्वारा भी इसे खा लिया जाता है जिससे वे बीमार हो जाते हैं और यह इस प्रकार प्रकृति के लिए भी काफी घातक है।
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