नवरात्रि के छठे दिन माता के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है । चैत्र के नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हुई थी आज नवरात्रि का छठा दिन है। माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नवरात्रि में विधि विधान से की जाती है। जो भक्त श्रद्धा से माता भगवती के 9 दिन के व्रत को संपन्न करता है माता उन पर प्रसन्न होती है उन्हें विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के छठे दिन मां का कात्यायनी की पूजा करने के लिए के लिए सुबह नहाने के बाद साफ वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प लेना चाहिए।मां कात्यायनी को पीला रंग प्रिय है इसलिए पूजा के लिए पीले रंग का वस्त्र धारण करना शुभ होता है। मां को अक्षत, रोली, कुमकुम, पीले पुष्प और भोग चढ़ाएं। माता की आरती और मंत्रों का जाप करें।
मां कात्यायनी का स्वरूप

शास्त्रों के अनुसार माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है और उनकी चार भुजाएं हैं। प्रत्येक भुजा में माता ने तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण किया है। माता कात्यायनी को लाल रंग सर्वाधिक पसंद है।
किंवदंतियों के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या के बाद माता कात्यायनी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। मां दुर्गा इन्हीं के रूप में महिषासुर का वध कर उसके आतंक से देव और मनुष्यों को भय मुक्त किया था।
मां कात्यायनी का पूजन मंत्र
मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें।
“कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”
माता कात्यायनी की आरती
जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जग माता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
जय अंबे , जय कात्यायनी माता।।
कात्यायनी माता को इस चीज का लगाएं भोग…

माना जाता है कि मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय है।माता को शहद से तैयार हलवे का भोग लगाना चाहिए। मां कात्यायनी शहद से बनी चीज का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती है ।
मां कात्यायनी का भोग तैयार करने की विधि
भोग तैयार करने के लिए कड़ाही में गाय का घी गर्म करें और उसमें सूजी या कूटू के आटे को अच्छे से भूने दूसरे बर्तन में पानी एक कप पानी चढ़ाएं और उसमें कटे हुए काजू, किशमिश और चिरौंजी डालें। पानी के उबलने पर उसमें भुनी हुई सूजी मिला दें और चीनी की जगह शहद डाल दें। हलवा गाढ़ा होने पर आंच बंद कर इलायची पाउडर मिला दें। ठंडा होने पर इस हलवे का वह माता को लगाएं उसके बाद इस पूरे प्रसाद को घर के सभी लोगो के बीच में वितरित कर दे।
क्षमा प्रार्थना मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां कात्यायनी का स्वरूप: मां कात्यायनी की सवारी सिंह यानी शेर है। माता की चार भुजाएं हैं और उनके सिर पर हमेशा मुकुट सुशोभित रहता है।
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।