एक महिला थी जिनका नाम रखमाबाई था। इनका विवाह 11 साल की उम्र में दादा जी भीकाजी नाम के व्यक्ति के साथ कर दिया गया क्योंकि उस समय इसकी उम्र बहुत कम थी जिसके कारण इन्होंने अपने पति के साथ जाने से मना कर दिया और वह बोली कि मुझे अपने घर पर ही रहना है। आगे चलकर इसी महिला ने चिकित्सा की पढ़ाई की और भारत की प्रथम महिला डॉक्टर बनकर दिखाया। और महिलाओं के बीच एक आदर्श स्थापित किया।