भारत देश प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाता है इस दिवस को मनाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह दिवस मुख्य रूप से भारत एक दूरदर्शी स्वतंत्रता सेनानी और भारत के महानतम नेताओं में से एक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को समर्पित है क्योंकि इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के के रूप में पराक्रम दिवस मनाया जा रहा है।
सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध नारा
उनके द्वारा दिया गया (Subhash Chandra Bose slogans) “जय हिन्द” का नारा दिया गया था। जो अब भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया था।
सुभाष चंद्र बोस का जीवन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनका निधन 18 अगस्त, 1945 को जापानी ताइवान के ताइपे में हुआ था। इनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था।
नेताजी ने 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला था
आपको बता दें कि सुभाष चंद्र बोस 14 भाई बहन थे. जिसमें से ये 9वें नंबर पर थे। सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास की थी जिसमें उन्हें चौथा रैंक प्राप्त हुआ था, लेकिन उन्होंने अंग्रेजों से मुल्क की आजादी के लिए इस पद की बलि चढ़ा दी।
सुभाषचंद्र बोस ने साल 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से शादी कर ली। इससे उन्हें एक बेटी हुई जिनका नाम अनीता रखा गया। वर्तमान में अनीता जर्मनी में अपने परिवार के साथ रहती हैं।
देश की आजादी के लिए सुभाषचंद्र बोस ने 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद फौज सरकार की स्थापना की. जिसे 9 देशों की सरकारों ने मान्यता दी थी जिसमें जर्मनी, जापान और फिलीपींस भी शामिल थे।
सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 1944 में म्यांमार (पूर्व में बर्मा) पहुंचे थे. यहीं पर उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा लगाया था। आपको बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा था। जिसके बाद से सभी राजनीतिक दलों ने उनपर फांसीवादी ताकतों के साथ नजदीकी रिश्ते होने की बात कही।