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आज 13 अक्टूबर को   पापांकुशा  एकादशी मनाई जा रही है।इस दिन भगवान विष्‍णु के पद्मनाभ स्‍वरूप की पूजा की जाती है। आश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है।

माता दुर्गा का यह स्वरूप सिद्ध और मोक्ष देने वाला है इसलिए माता को मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। इनकी पूजा अर्चना करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है

भक्त पवित्रता, शांति और मातृत्व का आशीर्वाद पाने के लिए महागौरी की पूजा करते हैं। इस पोषण करने वाले रूप में, वह दिव्यता, दया और करुणा का प्रतीक है। उनकी पूजा करने से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

कात्यायनी माता नवरात्रि की छठी शक्ति हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। वह भगवान शिव की पत्नी और भगवान कार्तिकेय की माता हैं। कात्यायनी माता की महिमा अपरंपार है और वह अपने भक्तों को शक्ति, साहस, और ज्ञान प्रदान करती हैं।

मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी कहा जाता है। उनकी आठ भुजाएं हैं। मां कूष्मांडा के हाथों में धनुष, बाण, कमल पुष्प, चक्र, गदा, कमंडल, जप माला और अमृकपूर्ण कलश कहता है। मां कुष्मांडा सिंह की सवारी करती है।

देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। 

आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज के दिन नवो  देवी माताओ में मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है।आज के दिन  मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान से पूजा की जाएगी। उनकी आरती की जाएगी और मां का पसंदीदा भोग लगाया जाएगा। मां का यह स्‍वरूप श्‍वेत वर्ण का है।